131وَلا تَمُدَّنَّ عَينَيكَ إِلىٰ ما مَتَّعنا بِهِ أَزواجًا مِنهُم زَهرَةَ الحَياةِ الدُّنيا لِنَفتِنَهُم فيهِ ۚ وَرِزقُ رَبِّكَ خَيرٌ وَأَبقىٰफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (ऐ रसूल) जो उनमें से कुछ लोगों को दुनिया की इस ज़रा सी ज़िन्दगी की रौनक़ से निहाल कर दिया है ताकि हम उनको उसमें आज़माएँ तुम अपनी नज़रें उधर न बढ़ाओ और (इससे) तुम्हारे परवरदिगार की रोज़ी (सवाब) कहीं बेहतर और ज्यादा पाएदार है