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Sura 2
Aya 93
93
وَإِذ أَخَذنا ميثاقَكُم وَرَفَعنا فَوقَكُمُ الطّورَ خُذوا ما آتَيناكُم بِقُوَّةٍ وَاسمَعوا ۖ قالوا سَمِعنا وَعَصَينا وَأُشرِبوا في قُلوبِهِمُ العِجلَ بِكُفرِهِم ۚ قُل بِئسَما يَأمُرُكُم بِهِ إيمانُكُم إِن كُنتُم مُؤمِنينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (वह वक्त याद करो) जब हमने तुमसे अहद लिया और (क़ोहे) तूर को (तुम्हारी उदूले हुक्मी से) तुम्हारे सर पर लटकाया और (हमने कहा कि ये किताब तौरेत) जो हमने दी है मज़बूती से लिए रहो और (जो कुछ उसमें है) सुनो तो कहने लगे सुना तो (सही लेकिन) हम इसको मानते नहीं और उनकी बेईमानी की वजह से (गोया) बछड़े की उलफ़त घोल के उनके दिलों में पिला दी गई (ऐ रसूल) उन लोगों से कह दो कि अगर तुम ईमानदार थे तो तुमको तुम्हारा ईमान क्या ही बुरा हुक्म करता था