75۞ أَفَتَطمَعونَ أَن يُؤمِنوا لَكُم وَقَد كانَ فَريقٌ مِنهُم يَسمَعونَ كَلامَ اللَّهِ ثُمَّ يُحَرِّفونَهُ مِن بَعدِ ما عَقَلوهُ وَهُم يَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(मुसलमानों) क्या तुम ये लालच रखते हो कि वह तुम्हारा (सा) ईमान लाएँगें हालाँकि उनमें का एक गिरोह (साबिक़ में) ऐसा था कि खुदा का कलाम सुनाता था और अच्छी तरह समझने के बाद उलट फेर कर देता था हालाँकि वह खूब जानते थे और जब उन लोगों से मुलाक़ात करते हैं