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Sura 2
Aya 74
74
ثُمَّ قَسَت قُلوبُكُم مِن بَعدِ ذٰلِكَ فَهِيَ كَالحِجارَةِ أَو أَشَدُّ قَسوَةً ۚ وَإِنَّ مِنَ الحِجارَةِ لَما يَتَفَجَّرُ مِنهُ الأَنهارُ ۚ وَإِنَّ مِنها لَما يَشَّقَّقُ فَيَخرُجُ مِنهُ الماءُ ۚ وَإِنَّ مِنها لَما يَهبِطُ مِن خَشيَةِ اللَّهِ ۗ وَمَا اللَّهُ بِغافِلٍ عَمّا تَعمَلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

फिर इसके पश्चात भी तुम्हारे दिल कठोर हो गए, तो वे पत्थरों की तरह हो गए बल्कि उनसे भी अधिक कठोर; क्योंकि कुछ पत्थर ऐसे भी होते है जिनसे नहरें फूट निकलती है, और कुछ ऐसे भी होते है कि फट जाते है तो उनमें से पानी निकलने लगता है, और उनमें से कुछ ऐसे भी होते है जो अल्लाह के भय से गिर जाते है। और अल्लाह, जो कुछ तुम कर रहे हो, उससे बेखबर नहीं है