60۞ وَإِذِ استَسقىٰ موسىٰ لِقَومِهِ فَقُلنَا اضرِب بِعَصاكَ الحَجَرَ ۖ فَانفَجَرَت مِنهُ اثنَتا عَشرَةَ عَينًا ۖ قَد عَلِمَ كُلُّ أُناسٍ مَشرَبَهُم ۖ كُلوا وَاشرَبوا مِن رِزقِ اللَّهِ وَلا تَعثَوا فِي الأَرضِ مُفسِدينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर याद करो जब मूसा ने अपनी क़ौम के लिए पानी की प्रार्थना को तो हमने कहा, "चट्टान पर अपनी लाठी मारो," तो उससे बारह स्रोत फूट निकले और हर गिरोह ने अपना-अपना घाट जान लिया - "खाओ और पियो अल्लाह का दिया और धरती में बिगाड़ फैलाते न फिरो।"