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Sura 2
Aya 286
286
لا يُكَلِّفُ اللَّهُ نَفسًا إِلّا وُسعَها ۚ لَها ما كَسَبَت وَعَلَيها مَا اكتَسَبَت ۗ رَبَّنا لا تُؤاخِذنا إِن نَسينا أَو أَخطَأنا ۚ رَبَّنا وَلا تَحمِل عَلَينا إِصرًا كَما حَمَلتَهُ عَلَى الَّذينَ مِن قَبلِنا ۚ رَبَّنا وَلا تُحَمِّلنا ما لا طاقَةَ لَنا بِهِ ۖ وَاعفُ عَنّا وَاغفِر لَنا وَارحَمنا ۚ أَنتَ مَولانا فَانصُرنا عَلَى القَومِ الكافِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और मान लिया परवरदिगार हमें तेरी ही मग़फ़िरत की (ख्वाहिश है) और तेरी ही तरफ़ लौट कर जाना है ख़ुदा किसी को उसकी ताक़त से ज्यादा तकलीफ़ नहीं देता उसने अच्छा काम किया तो अपने नफ़े के लिए और बुरा काम किया तो (उसका वबाल) उसी पर पडेग़ा ऐ हमारे परवरदिगार अगर हम भूल जाऐं या ग़लती करें तो हमारी गिरफ्त न कर ऐ हमारे परवरदिगार हम पर वैसा बोझ न डाल जैसा हमसे अगले लोगों पर बोझा डाला था, और ऐ हमारे परवरदिगार इतना बोझ जिसके उठाने की हमें ताक़त न हो हमसे न उठवा और हमारे कुसूरों से दरगुज़र कर और हमारे गुनाहों को बख्श दे और हम पर रहम फ़रमा तू ही हमारा मालिक है तू ही काफ़िरों के मुक़ाबले में हमारी मदद कर