280وَإِن كانَ ذو عُسرَةٍ فَنَظِرَةٌ إِلىٰ مَيسَرَةٍ ۚ وَأَن تَصَدَّقوا خَيرٌ لَكُم ۖ إِن كُنتُم تَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर अगर कोई तंगदस्त तुम्हारा (क़र्ज़दार हो) तो उसे ख़ुशहाली तक मोहल्लत (दो) और सदक़ा करो और अगर तुम समझो तो तुम्हारे हक़ में ज्यादा बेहतर है कि असल भी बख्श दो