274الَّذينَ يُنفِقونَ أَموالَهُم بِاللَّيلِ وَالنَّهارِ سِرًّا وَعَلانِيَةً فَلَهُم أَجرُهُم عِندَ رَبِّهِم وَلا خَوفٌ عَلَيهِم وَلا هُم يَحزَنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजो लोग अपने माल रात-दिन छिपे और खुले ख़र्च करें, उनका बदला तो उनके रब के पास है, और न उन्हें कोई भय है और न वे शोकाकुल होंगे