270وَما أَنفَقتُم مِن نَفَقَةٍ أَو نَذَرتُم مِن نَذرٍ فَإِنَّ اللَّهَ يَعلَمُهُ ۗ وَما لِلظّالِمينَ مِن أَنصارٍफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर तुमने जो कुछ भी ख़र्च किया और जो कुछ भी नज़र (मन्नत) की हो, निस्सन्देह अल्लाह उसे भली-भाँति जानता है। और अत्याचारियों का कोई सहायक न होगा