263۞ قَولٌ مَعروفٌ وَمَغفِرَةٌ خَيرٌ مِن صَدَقَةٍ يَتبَعُها أَذًى ۗ وَاللَّهُ غَنِيٌّ حَليمٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदएक भली बात कहनी और क्षमा से काम लेना उस सदक़े से अच्छा है, जिसके पीछे दुख हो। और अल्लाह अत्यन्कृत निस्पृह (बेनियाज़), सहनशील है