254يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا أَنفِقوا مِمّا رَزَقناكُم مِن قَبلِ أَن يَأتِيَ يَومٌ لا بَيعٌ فيهِ وَلا خُلَّةٌ وَلا شَفاعَةٌ ۗ وَالكافِرونَ هُمُ الظّالِمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ ईमान लानेवालो! हमने जो कुछ तुम्हें प्रदान किया है उसमें से ख़र्च करो, इससे पहले कि वह दिन आ जाए जिसमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न कोई मित्रता होगी और न कोई सिफ़ारिश। ज़ालिम वही है, जिन्होंने इनकार की नीति अपनाई है