216كُتِبَ عَلَيكُمُ القِتالُ وَهُوَ كُرهٌ لَكُم ۖ وَعَسىٰ أَن تَكرَهوا شَيئًا وَهُوَ خَيرٌ لَكُم ۖ وَعَسىٰ أَن تُحِبّوا شَيئًا وَهُوَ شَرٌّ لَكُم ۗ وَاللَّهُ يَعلَمُ وَأَنتُم لا تَعلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदतुम पर युद्ध अनिवार्य किया गया और वह तुम्हें अप्रिय है, और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें अप्रिय हो और वह तुम्हारे लिए अच्छी हो। और बहुत सम्भव है कि कोई चीज़ तुम्हें प्रिय हो और वह तुम्हारे लिए बुरी हो। और जानता अल्लाह है, और तुम नहीं जानते।"