210هَل يَنظُرونَ إِلّا أَن يَأتِيَهُمُ اللَّهُ في ظُلَلٍ مِنَ الغَمامِ وَالمَلائِكَةُ وَقُضِيَ الأَمرُ ۚ وَإِلَى اللَّهِ تُرجَعُ الأُمورُफ़ारूक़ ख़ान & अहमदक्या वे (इसराईल की सन्तान) बस इसकी प्रतीक्षा कर रहे है कि अल्लाह स्वयं ही बादलों की छायों में उनके सामने आ जाए और फ़रिश्ते भी, हालाँकि बात तय कर दी गई है? मामले तो अल्लाह ही की ओर लौटते है