182فَمَن خافَ مِن موصٍ جَنَفًا أَو إِثمًا فَأَصلَحَ بَينَهُم فَلا إِثمَ عَلَيهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(हाँ अलबत्ता) जो शख्स वसीयत करने वाले से बेजा तरफ़दारी या बे इन्साफी का ख़ौफ रखता है और उन वारिसों में सुलह करा दे तो उस पर बदलने का कुछ गुनाह नहीं है बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है