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Sura 2
Aya 171
171
وَمَثَلُ الَّذينَ كَفَروا كَمَثَلِ الَّذي يَنعِقُ بِما لا يَسمَعُ إِلّا دُعاءً وَنِداءً ۚ صُمٌّ بُكمٌ عُميٌ فَهُم لا يَعقِلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

इन इनकार करनेवालों की मिसाल ऐसी है जैसे कोई ऐसी चीज़ों को पुकारे जो पुकार और आवाज़ के सिवा कुछ न सुनती और समझती हो। ये बहरे हैं, गूँगें हैं, अन्धें हैं; इसलिए ये कुछ भी नहीं समझ सकते