कुछ लोग ऐसे भी है जो अल्लाह से हटकर दूसरों को उसके समकक्ष ठहराते है, उनसे ऐसा प्रेम करते है जैसा अल्लाह से प्रेम करना चाहिए। और कुछ ईमानवाले है उन्हें सबसे बढ़कर अल्लाह से प्रेम होता है। और ये अत्याचारी (बहुदेववादी) जबकि यातना देखते है, यदि इस तथ्य को जान लेते कि शक्ति सारी की सारी अल्लाह ही को प्राप्त हो और यह कि अल्लाह अत्यन्त कठोर यातना देनेवाला है (तो इनकी नीति कुछ और होती)