132وَوَصّىٰ بِها إِبراهيمُ بَنيهِ وَيَعقوبُ يا بَنِيَّ إِنَّ اللَّهَ اصطَفىٰ لَكُمُ الدّينَ فَلا تَموتُنَّ إِلّا وَأَنتُم مُسلِمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर इसी तरीके क़ी इबराहीम ने अपनी औलाद से वसीयत की और याकूब ने (भी) कि ऐ फरज़न्दों खुदा ने तुम्हारे वास्ते इस दीन (इस्लाम) को पसन्द फरमाया है पस तुम हरगिज़ न मरना मगर मुसलमान ही होकर