26فَكُلي وَاشرَبي وَقَرّي عَينًا ۖ فَإِمّا تَرَيِنَّ مِنَ البَشَرِ أَحَدًا فَقولي إِنّي نَذَرتُ لِلرَّحمٰنِ صَومًا فَلَن أُكَلِّمَ اليَومَ إِنسِيًّاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (चश्मे का पानी) पियो और (लड़के से) अपनी ऑंख ठन्डी करो फिर अगर तुम किसी आदमी को देखो (और वह तुमसे कुछ पूछे) तो तुम इशारे से कह देना कि मैंने खुदा के वास्ते रोजे क़ी नज़र की थी तो मैं आज हरगिज़ किसी से बात नहीं कर सकती