93حَتّىٰ إِذا بَلَغَ بَينَ السَّدَّينِ وَجَدَ مِن دونِهِما قَومًا لا يَكادونَ يَفقَهونَ قَولًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीयहाँ तक कि जब चलते-चलते रोम में एक पहाड़ के (कंगुरों के) दीवारों के बीचो बीच पहुँच गया तो उन दोनों दीवारों के इस तरफ एक क़ौम को (आबाद) पाया तो बात चीत कुछ समझ ही नहीं सकती थी