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Sura 18
Aya 61
61
فَلَمّا بَلَغا مَجمَعَ بَينِهِما نَسِيا حوتَهُما فَاتَّخَذَ سَبيلَهُ فِي البَحرِ سَرَبًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ख्वाह (अगर मुलाक़ात न हो तो) बरसों यूँ ही चलता जाऊँगा फिर जब ये दोनों उन दोनों दरियाओं के मिलने की जगह पहुँचे तो अपनी (भुनी हुई) मछली छोड़ चले तो उसने दरिया में सुरंग बनाकर अपनी राह ली