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Sura 18
Aya 29
29
وَقُلِ الحَقُّ مِن رَبِّكُم ۖ فَمَن شاءَ فَليُؤمِن وَمَن شاءَ فَليَكفُر ۚ إِنّا أَعتَدنا لِلظّالِمينَ نارًا أَحاطَ بِهِم سُرادِقُها ۚ وَإِن يَستَغيثوا يُغاثوا بِماءٍ كَالمُهلِ يَشوِي الوُجوهَ ۚ بِئسَ الشَّرابُ وَساءَت مُرتَفَقًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ऐ रसूल) तुम कह दों कि सच्ची बात (कलमए तौहीद) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (नाज़िल हो चुकी है) बस जो चाहे माने और जो चाहे न माने (मगर) हमने ज़ालिमों के लिए वह आग (दहका के) तैयार कर रखी है जिसकी क़नातें उन्हें घेर लेगी और अगर वह लोग दोहाई करेगें तो उनकी फरियाद रसी खौलते हुए पानी से की जाएगी जो मसलन पिघले हुए ताबें की तरह होगा (और) वह मुँह को भून डालेगा क्या बुरा पानी है और (जहन्नुम भी) क्या बुरी जगह है