27وَاتلُ ما أوحِيَ إِلَيكَ مِن كِتابِ رَبِّكَ ۖ لا مُبَدِّلَ لِكَلِماتِهِ وَلَن تَجِدَ مِن دونِهِ مُلتَحَدًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (ऐ रसूल) जो किताब तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से वही के ज़रिए से नाज़िल हुईहै उसको पढ़ा करो उसकी बातों को कोई बदल नहीं सकता और तुम उसके सिवा कहीं कोई हरगिज़ पनाह की जगह (भी) न पाओगे