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Sura 17
Aya 93
93
أَو يَكونَ لَكَ بَيتٌ مِن زُخرُفٍ أَو تَرقىٰ فِي السَّماءِ وَلَن نُؤمِنَ لِرُقِيِّكَ حَتّىٰ تُنَزِّلَ عَلَينا كِتابًا نَقرَؤُهُ ۗ قُل سُبحانَ رَبّي هَل كُنتُ إِلّا بَشَرًا رَسولًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और जब तक तुम हम पर ख़ुदा के यहाँ से एक किताब न नाज़िल करोगे कि हम उसे खुद पढ़ भी लें उस वक्त तक हम तुम्हारे (आसमान पर चढ़ने के भी) क़ायल न होगें (ऐ रसूल) तुम कह दो कि सुबहान अल्लाह मै एक आदमी (ख़ुदा के) रसूल के सिवा आख़िर और क्या हूँ