91أَو تَكونَ لَكَ جَنَّةٌ مِن نَخيلٍ وَعِنَبٍ فَتُفَجِّرَ الأَنهارَ خِلالَها تَفجيرًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीया (ये नहीं तो) खजूरों और अंगूरों का तुम्हारा कोई बाग़ हो उसमें तुम बीच बीच में नहरे जारी करके दिखा दो