89وَلَقَد صَرَّفنا لِلنّاسِ في هٰذَا القُرآنِ مِن كُلِّ مَثَلٍ فَأَبىٰ أَكثَرُ النّاسِ إِلّا كُفورًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर हमने तो लोगों (के समझाने) के वास्ते इस क़ुरान में हर क़िस्म की मसलें अदल बदल के बयान कर दीं उस पर भी अक्सर लोग बग़ैर नाशुक्री किए नहीं रहते