31وَلا تَقتُلوا أَولادَكُم خَشيَةَ إِملاقٍ ۖ نَحنُ نَرزُقُهُم وَإِيّاكُم ۚ إِنَّ قَتلَهُم كانَ خِطئًا كَبيرًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (लोगों) मुफलिसी (ग़रीबी) के ख़ौफ से अपनी औलाद को क़त्ल न करो (क्योंकि) उनको और तुम को (सबको) तो हम ही रोज़ी देते हैं बेशक औलाद का क़त्ल करना बहुत सख्त गुनाह है