111وَقُلِ الحَمدُ لِلَّهِ الَّذي لَم يَتَّخِذ وَلَدًا وَلَم يَكُن لَهُ شَريكٌ فِي المُلكِ وَلَم يَكُن لَهُ وَلِيٌّ مِنَ الذُّلِّ ۖ وَكَبِّرهُ تَكبيرًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर कहो कि हर तरह की तारीफ उसी ख़ुदा को (सज़ावार) है जो न तो कोई औलाद रखता है और न (सारे जहाँन की) सल्तनत में उसका कोई साझेदार है और न उसे किसी तरह की कमज़ोरी है न कोई उसका सरपरस्त हो और उसकी बड़ाई अच्छी तरह करते रहा करो