59يَتَوارىٰ مِنَ القَومِ مِن سوءِ ما بُشِّرَ بِهِ ۚ أَيُمسِكُهُ عَلىٰ هونٍ أَم يَدُسُّهُ فِي التُّرابِ ۗ أَلا ساءَ ما يَحكُمونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर वह ज़हर का सा घूँट पीकर रह जाता है (बेटी की) जिसकी खुशखबरी दी गई है अपनी क़ौम के लोगों से छिपा फिरता है (और सोचता है) कि क्या इसको ज़िल्लत उठाके ज़िन्दा रहने दे या (ज़िन्दा ही) इसको ज़मीन में गाड़ दे-देखो तुम लोग किस क़दर बुरा एहकाम (हुक्म) लगाते हैं