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Sura 16
Aya 28
28
الَّذينَ تَتَوَفّاهُمُ المَلائِكَةُ ظالِمي أَنفُسِهِم ۖ فَأَلقَوُا السَّلَمَ ما كُنّا نَعمَلُ مِن سوءٍ ۚ بَلىٰ إِنَّ اللَّهَ عَليمٌ بِما كُنتُم تَعمَلونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

वह लोग हैं कि जब फरिश्ते उनकी रुह क़ब्ज़ करने लगते हैं (और) ये लोग (कुफ्र करके) आप अपने ऊपर सितम ढ़ाते रहे तो इताअत पर आमादा नज़र आते हैं और (कहते हैं कि) हम तो (अपने ख्याल में) कोई बुराई नहीं करते थे (तो फरिश्ते कहते हैं) हाँ जो कुछ तुम्हारी करतूते थी ख़ुदा उससे खूब अच्छी तरह वाक़िफ हैं