127وَاصبِر وَما صَبرُكَ إِلّا بِاللَّهِ ۚ وَلا تَحزَن عَلَيهِم وَلا تَكُ في ضَيقٍ مِمّا يَمكُرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (ऐ रसूल) तुम सब्र ही करो (और ख़ुदा की (मदद) बग़ैर तो तुम सब्र कर भी नहीं सकते और उन मुख़ालिफीन के हाल पर तुम रंज न करो और जो मक्कारीयाँ ये लोग करते हैं उससे तुम तंग दिल न हो