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Sura 16
Aya 101
101
وَإِذا بَدَّلنا آيَةً مَكانَ آيَةٍ ۙ وَاللَّهُ أَعلَمُ بِما يُنَزِّلُ قالوا إِنَّما أَنتَ مُفتَرٍ ۚ بَل أَكثَرُهُم لا يَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ऐ रसूल) हम जब एक आयत के बदले दूसरी आयत नाज़िल करते हैं तो हालॉकि ख़ुदा जो चीज़ नाज़िल करता है उस (की मसलहतों) से खूब वाक़िफ है मगर ये लोग (तुम को) कहने लगते हैं कि तुम बस बिल्कुल मुज़तरी (ग़लत बयान करने वाले) हो बल्कि खुद उनमें के बहुतेरे (मसालेह को) नहीं जानते