91الَّذينَ جَعَلُوا القُرآنَ عِضينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(बाज़ को माना बाज को नहीं) तो ऐ रसूल तुम्हारे ही परवरदिगार की (अपनी) क़सम