88لا تَمُدَّنَّ عَينَيكَ إِلىٰ ما مَتَّعنا بِهِ أَزواجًا مِنهُم وَلا تَحزَن عَلَيهِم وَاخفِض جَناحَكَ لِلمُؤمِنينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजो कुछ सुख-सामग्री हमने उनमें से विभिन्न प्रकार के लोगों को दी है, तुम उसपर अपनी आँखें न पसारो और न उनपर दुखी हो, तुम तो अपनी भुजाएँ मोमिनों के लिए झुकाए रखो,