81وَآتَيناهُم آياتِنا فَكانوا عَنها مُعرِضينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदहमने तो उन्हें अपनी निशानियाँ प्रदान की थी, परन्तु वे उनकी उपेक्षा ही करते रहे