31قُل لِعِبادِيَ الَّذينَ آمَنوا يُقيمُوا الصَّلاةَ وَيُنفِقوا مِمّا رَزَقناهُم سِرًّا وَعَلانِيَةً مِن قَبلِ أَن يَأتِيَ يَومٌ لا بَيعٌ فيهِ وَلا خِلالٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदमेरे जो बन्दे ईमान लाए है उनसे कह दो कि वे नमाज़ की पाबन्दी करें और हमने उन्हें जो कुछ दिया है उसमें से छुपे और खुले ख़र्च करें, इससे पहले कि वह दिन आ जाए जिनमें न कोई क्रय-विक्रय होगा और न मैत्री