32وَلَقَدِ استُهزِئَ بِرُسُلٍ مِن قَبلِكَ فَأَملَيتُ لِلَّذينَ كَفَروا ثُمَّ أَخَذتُهُم ۖ فَكَيفَ كانَ عِقابِफ़ारूक़ ख़ान & अहमदतुमसे पहले भी कितने ही रसूलों का उपहास किया जा चुका है, किन्तु मैंने इनकार करनेवालों को मुहलत दी। फिर अंततः मैंने उन्हें पकड़ लिया, फिर कैसी रही मेरी सज़ा?