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Sura 13
Aya 17
17
أَنزَلَ مِنَ السَّماءِ ماءً فَسالَت أَودِيَةٌ بِقَدَرِها فَاحتَمَلَ السَّيلُ زَبَدًا رابِيًا ۚ وَمِمّا يوقِدونَ عَلَيهِ فِي النّارِ ابتِغاءَ حِليَةٍ أَو مَتاعٍ زَبَدٌ مِثلُهُ ۚ كَذٰلِكَ يَضرِبُ اللَّهُ الحَقَّ وَالباطِلَ ۚ فَأَمَّا الزَّبَدُ فَيَذهَبُ جُفاءً ۖ وَأَمّا ما يَنفَعُ النّاسَ فَيَمكُثُ فِي الأَرضِ ۚ كَذٰلِكَ يَضرِبُ اللَّهُ الأَمثالَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने आकाश से पानी उतारा तो नदी-नाले अपनी-अपनी समाई के अनुसार बह निकले। फिर पानी के बहाव ने उभरे हुए झाग को उठा लिया और उसमें से भी, जिसे वे ज़ेवर या दूसरे सामान बनाने के लिए आग में तपाते हैं, ऐसा ही झाग उठता है। इस प्रकार अल्लाह सत्य और असत्य की मिसाल बयान करता है। फिर जो झाग है वह तो सूखकर नष्ट हो जाता है और जो कुछ लोगों को लाभ पहुँचानेवाला होता है, वह धरती में ठहर जाता है। इसी प्रकार अल्लाह दृष्टांत प्रस्तुत करता है