39يا صاحِبَيِ السِّجنِ أَأَربابٌ مُتَفَرِّقونَ خَيرٌ أَمِ اللَّهُ الواحِدُ القَهّارُफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ कारागर के मेरे साथियों! क्या अलग-अलग बहुत-से रह अच्छे है या अकेला अल्लाह जिसका प्रभुत्व सबपर है?