32قالَت فَذٰلِكُنَّ الَّذي لُمتُنَّني فيهِ ۖ وَلَقَد راوَدتُهُ عَن نَفسِهِ فَاستَعصَمَ ۖ وَلَئِن لَم يَفعَل ما آمُرُهُ لَيُسجَنَنَّ وَلَيَكونًا مِنَ الصّاغِرينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवह बोली, "यह वही है जिसके विषय में तुम मुझे मलामत कर रही थीं। हाँ, मैंने इसे रिझाना चाहा था, किन्तु यह बचा रहा। और यदि इसने न किया जो मैं इससे कहती तो यह अवश्य क़ैद किया जाएगा और अपमानित होगा।"