95كَأَن لَم يَغنَوا فيها ۗ أَلا بُعدًا لِمَديَنَ كَما بَعِدَت ثَمودُफ़ारूक़ ख़ान & अहमदमानो वे वहाँ कभी बसे ही न थे। "सुन लो! फिटकार है मदयनवालों पर, जैसे समूद पर फिटकार हुई!"