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Sura 11
Aya 88
88
قالَ يا قَومِ أَرَأَيتُم إِن كُنتُ عَلىٰ بَيِّنَةٍ مِن رَبّي وَرَزَقَني مِنهُ رِزقًا حَسَنًا ۚ وَما أُريدُ أَن أُخالِفَكُم إِلىٰ ما أَنهاكُم عَنهُ ۚ إِن أُريدُ إِلَّا الإِصلاحَ مَا استَطَعتُ ۚ وَما تَوفيقي إِلّا بِاللَّهِ ۚ عَلَيهِ تَوَكَّلتُ وَإِلَيهِ أُنيبُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, "ऐ मेरी क़ौम के लोगो! तुम्हारा क्या विचार है? यदि मैं अपने रब के एक स्पष्ट प्रमाण पर हूँ और उसने मुझे अपनी ओर से अच्छी आजीविका भी प्रदान की (तो झुठलाना मेरे लिए कितना हानिकारक होगा!) और मैं नहीं चाहता कि जिन बातों से मैं तुम्हें रोकता हूँ स्वयं स्वयं तुम्हारे विपरीत उनको करने लगूँ। मैं तो अपने बस भर केवल सुधार चाहता हूँ। मेरा काम बनना तो अल्लाह ही की सहायता से सम्भव है। उसी पर मेरा भरोसा है और उसी की ओर मैं रुजू करता हूँ