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Sura 11
Aya 47
47
قالَ رَبِّ إِنّي أَعوذُ بِكَ أَن أَسأَلَكَ ما لَيسَ لي بِهِ عِلمٌ ۖ وَإِلّا تَغفِر لي وَتَرحَمني أَكُن مِنَ الخاسِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

उसने कहा, "मेरे रब! मैं इससे तेरी पनाह माँगता हूँ कि तुझसे उस चीज़ का सवाल करूँ जिसका मुझे कोई ज्ञान न हो। अब यदि तूने मुझे क्षमा न किया और मुझपर दया न की, तो मैं घाटे में पड़कर रहूँगा।"