34وَلا يَنفَعُكُم نُصحي إِن أَرَدتُ أَن أَنصَحَ لَكُم إِن كانَ اللَّهُ يُريدُ أَن يُغوِيَكُم ۚ هُوَ رَبُّكُم وَإِلَيهِ تُرجَعونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअब जबकि अल्लाह ही ने तुम्हें विनष्ट करने का निश्चय कर लिया हो, तो यदि मैं तुम्हारा भला भी चाहूँ, तो मेरा भला चाहना तुम्हें कुछ भी लाभ नहीं पहुँचा सकता। वही तुम्हारा रब है और उसी की ओर तुम्हें पलटना भी है।"