24۞ مَثَلُ الفَريقَينِ كَالأَعمىٰ وَالأَصَمِّ وَالبَصيرِ وَالسَّميعِ ۚ هَل يَستَوِيانِ مَثَلًا ۚ أَفَلا تَذَكَّرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमददोनों पक्षों की उपमा ऐसी है जैसे एक अन्धा और बहरा हो और एक देखने और सुननेवाला। क्या इन दोनों की दशा समान हो सकती है? तो क्या तुम होश से काम नहीं लेते?