105يَومَ يَأتِ لا تَكَلَّمُ نَفسٌ إِلّا بِإِذنِهِ ۚ فَمِنهُم شَقِيٌّ وَسَعيدٌफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिस दिन वह आएगा, तो उसकी अनुमति के बिना कोई व्यक्ति बात तक न कर सकेगा। फिर (मानवों में) कोई तो उनमें अभागा होगा और कोई भाग्यशाली