54وَلَو أَنَّ لِكُلِّ نَفسٍ ظَلَمَت ما فِي الأَرضِ لَافتَدَت بِهِ ۗ وَأَسَرُّوا النَّدامَةَ لَمّا رَأَوُا العَذابَ ۖ وَقُضِيَ بَينَهُم بِالقِسطِ ۚ وَهُم لا يُظلَمونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदयदि प्रत्येक अत्याचारी व्यक्ति के पास वह सब कुछ हो जो धरती में है, तो वह अर्थदंड के रूप में उसे दे डाले। जब वे यातना को देखेंगे तो मन ही मन में पछताएँगे। उनके बीच न्यायपूर्वक फ़ैसला कर दिया जाएगा और उनपर कोई अत्याचार न होगा