102فَهَل يَنتَظِرونَ إِلّا مِثلَ أَيّامِ الَّذينَ خَلَوا مِن قَبلِهِم ۚ قُل فَانتَظِروا إِنّي مَعَكُم مِنَ المُنتَظِرينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीतो ये लोग भी उन्हें सज़ाओं के मुन्तिज़र (इन्तजार में) हैं जो उनसे क़ब्ल (पहले) वालो पर गुज़र चुकी हैं (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि अच्छा तुम भी इन्तज़ार करो मैं भी तुम्हारे साथ यक़ीनन इन्तज़ार करता हूँ