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Sura 9
Aya 8
8
كَيفَ وَإِن يَظهَروا عَلَيكُم لا يَرقُبوا فيكُم إِلًّا وَلا ذِمَّةً ۚ يُرضونَكُم بِأَفواهِهِم وَتَأبىٰ قُلوبُهُم وَأَكثَرُهُم فاسِقونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(उनका एहद) क्योंकर (रह सकता है) जब (उनकी ये हालत है) कि अगर तुम पर ग़लबा पा जाएं तो तुम्हारे में न तो रिश्ते नाते ही का लिहाज़ करेगें और न अपने क़ौल व क़रार का ये लोग तुम्हें अपनी ज़बानी (जमा खर्च में) खुश कर देते हैं हालॉकि उनके दिल नहीं मानते और उनमें के बहुतेरे तो बदचलन हैं