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Sura 9
Aya 61
61
وَمِنهُمُ الَّذينَ يُؤذونَ النَّبِيَّ وَيَقولونَ هُوَ أُذُنٌ ۚ قُل أُذُنُ خَيرٍ لَكُم يُؤمِنُ بِاللَّهِ وَيُؤمِنُ لِلمُؤمِنينَ وَرَحمَةٌ لِلَّذينَ آمَنوا مِنكُم ۚ وَالَّذينَ يُؤذونَ رَسولَ اللَّهِ لَهُم عَذابٌ أَليمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और उनमें कुछ लोग ऐसे हैं, जो नबी को दुख देते है और कहते है, "वह तो निरा कान है!" कह दो, "वह सर्वथा कान तुम्हारी भलाई के लिए है। वह अल्लाह पर ईमान रखता है और ईमानवालों पर भी विश्वास करता है। और उन लोगों के लिए सर्वथा दयालुता है जो तुममें से ईमान लाए है। रहे वे लोग जो अल्लाह के रसूल को दुख देते है, उनके लिए दुखद यातना है।"