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Sura 9
Aya 58
58
وَمِنهُم مَن يَلمِزُكَ فِي الصَّدَقاتِ فَإِن أُعطوا مِنها رَضوا وَإِن لَم يُعطَوا مِنها إِذا هُم يَسخَطونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल) उनमें से कुछ तो ऐसे भी हैं जो तुम्हें ख़ैरात (की तक़सीम) में (ख्वाह मा ख्वाह) इल्ज़ाम देते हैं फिर अगर उनमे से कुछ (माक़ूल मिक़दार(हिस्सा)) दे दिया गया तो खुश हो गए और अगर उनकी मर्ज़ी के मुवाफिक़ उसमें से उन्हें कुछ नहीं दिया गया तो बस फौरन ही बिगड़ बैठे